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Channel: Vivek Kumar
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संस्कृत कहानी चालाक लोमड़ी

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बाल्यकाल से ही विद्यार्थी इस कहानी को कण्ठस्थ कर सभी को सुनाते रहते हैं। चालाक लोमड़ी तथा अङ्गूर खट्टे हैं ये दो ऐसे कथन हैं जो लगभग सभी बच्चों को सरलता से स्मरण रहते हैं।

आङ्गल भाषा में भी इस कथा का उच्चारण बच्चों से करवाया जाता है। मैं अपने बाल्यकाल से लेकर अपनी बेटी तक ये कहानी पढ़ता तथा सुनाता आया हूँ।

संस्कृत भाषा में इस कथा को पढ़ने तथा श्रवण करने का अपना ही आनन्द है।

यदि आप संस्कृत भाषा सीखना चाहते हैं तो इन पुस्तकों से आरम्भ कर सकते हैं:

संस्कृत में कहानी–मूढः लोमशा

एकः लोमशा अस्ति। सा एकदा आहारार्थं वने भ्रमति। एकत्र सा द्राक्षालतां पश्यति। लतायाम् अनेकानि द्राक्षाफलानि सन्ति। तानि पक्कानि।

लोमशा चिन्तयति

अद्य मम द्राक्षाफलानां भोजनम्

द्राक्षां लब्धुम् उपरि उत्पतति। किन्तु द्राक्षाफलानि न प्राप्नोति। लोमशा पुनः पुनः उत्पतति। तथापि फलानि न प्राप्नोति।

लोमशा कुपितः भवति। सा तानि द्राक्षाफलानि दूषयति।

सा वदति

द्राक्षाफलानिआम्लानि

अनन्तरं स्वस्थानं गच्छति।

(इस कहानी का संस्कृत रूप संस्कृतभारती के द्वारा प्रकाशित पत्रालयद्वारा संस्कृतम् पत्रिका के तृतीय भाग में से लिया गया है)


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